सत्रहवीं सताब्दी में बुंदेलखंड छोटे छोटे राज्यों में विभक्त था ,दतिया के भगवान राय के कल में (संवत १६२६-१६५६) समथर राज्य अस्तित्व में आया ,दतिया के महाराजा इन्द्रजीत सिंह के शासन काल में समथर राजधर की उपाधि से गुर्जर राज्य की स्थापना हुयी , मर्दन सिंह को समथर की किलेदारी सौपी गयी ,समथर स्टेट धीरे धीरे दतिया के अधीन सुद्रढ़ राज्य के रूप में स्थापित हो गया ,कई शाशकों ने इस राज्य की प्रगति में योगदान दिया ,झाँसी गजेटियर के अनुसार जो इस बात की पुष्टि भी करता है की समथर के स्वतंत्र राज्य की नीव चंद्रभान वीर गुजर और उनके पोते मदन सिंह, दतिया के राजा के द्वारा डाली गई थी महाराजाओं के क्रम में
-श्री चतुर सिंह
-श्री कम्मोद सिंह
-श्री चंद्रभान सिंह
-श्री प्रतापभान परसुराम सिंह
-श्री नानेशाह
-श्री विष्णु सिंह
-श्री देवी सिंह
-श्री रणजीत सिंह (प्रथम और द्वितीय )
-श्री हिन्दू पति
-श्री चतुर सिंह (द्वितीय )
-राजा वीर सिंह जूदेव
-महाराजा रणजीत सिंह जूदेव
-सम्प्रति महाराजा राधाचरण सिंह जूदेव
महाराजा रणजीत सिंह जूदेव भारतीय राजनीति में प्रमुख स्थान रखते हैं ..
इतिहास -
झाँसी क्रांति के समय में समथर राज्य अंग्रेजों के अधीन था ,झाँसी क्रांति के पूर्व से ही समथर राज्य मराठों की उदीयमान शक्ति का सहयोगी रहा है ,चूकि झाँसी राज्य मराठों के सम्बंधित था इसलिए समथर राज्य किसी प्रकार महारानी झाँसी का विरोध नहीं करना चाहता था , समथर राज्य के महाराजा भी कट्टर भारतीयता से ओत प्रोत थे ,उन्होंने मराठों का साथ पकड़ा किसी मुग़ल बादशाह का नहीं ,जबकि बांदा ,अवध आदि के नवाबों ने मुगलों का साथ दिया था ..
१८ ५७ की क्रांति के समय समथर में महाहिंदुपति का शासन था ,जो अवयस्क थे और शासन का भार राजमाता पर था ,कुशल दीवान घाटमपुर वाले उनके सहयोगी थे , महारानी लक्ष्मीबाई झाँसी से कालपी के लिए समथर राज्य से होकर गुजारी थी तथा समथर राज्य के दतावली गाव में रुकी थीं ,समथर एक क़स्बा है और उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक नगर पालिका है भारत की जनगणना2001 में समथर की आबादी 20,227 थी. पुरुषों और महिलाओं की जनसंख्या 47% से 53% . समथर की साक्षरता दर औसत 55% है, 59.5% की राष्ट्रीय औसत से कम है: पुरुष साक्षरता 66% है, और महिला साक्षरता 43% है. .समथर में, जनसंख्या का 16% की उम्र 6 वर्ष से कम है. पूर्व में स्थित समथर समथर गढ़ के रूप में जाना जाता था. . समथर महान गुर्जर योद्धाओं के अधीन एक रियासत थी.
सत्रहवीं सताब्दी में बुंदेलखंड छोटे छोटे राज्यों में विभक्त था ,दतिया के भगवान राय के कल में (संवत १६२६-१६५६) समथर राज्य अस्तित्व में आया ,दतिया के महाराजा इन्द्रजीत सिंह के शासन काल में समथर राजधर की उपाधि से गुर्जर राज्य की स्थापना हुयी , मर्दन सिंह को समथर की किलेदारी सौपी गयी ,समथर स्टेट धीरे धीरे दतिया के अधीन सुद्रढ़ राज्य के रूप में स्थापित हो गया ,कई शाशकों ने इस राज्य की प्रगति में योगदान दिया ,झाँसी गजेटियर के अनुसार जो इस बात की पुष्टि भी करता है की समथर के स्वतंत्र राज्य की नीव चंद्रभान वीर गुजर और उनके पोते मदन सिंह, दतिया के राजा के द्वारा डाली गई थी महाराजाओं के क्रम में
-श्री चतुर सिंह
-श्री कम्मोद सिंह
-श्री चंद्रभान सिंह
-श्री प्रतापभान परसुराम सिंह
-श्री नानेशाह
-श्री विष्णु सिंह
-श्री देवी सिंह
-श्री रणजीत सिंह (प्रथम और द्वितीय )
-श्री हिन्दू पति
-श्री चतुर सिंह (द्वितीय )
-राजा वीर सिंह जूदेव
-महाराजा रणजीत सिंह जूदेव
-सम्प्रति महाराजा राधाचरण सिंह जूदेव
महाराजा रणजीत सिंह जूदेव भारतीय राजनीति में प्रमुख स्थान रखते हैं ..
इतिहास -
झाँसी क्रांति के समय में समथर राज्य अंग्रेजों के अधीन था ,झाँसी क्रांति के पूर्व से ही समथर राज्य मराठों की उदीयमान शक्ति का सहयोगी रहा है ,चूकि झाँसी राज्य मराठों के सम्बंधित था इसलिए समथर राज्य किसी प्रकार महारानी झाँसी का विरोध नहीं करना चाहता था , समथर राज्य के महाराजा भी कट्टर भारतीयता से ओत प्रोत थे ,उन्होंने मराठों का साथ पकड़ा किसी मुग़ल बादशाह का नहीं ,जबकि बांदा ,अवध आदि के नवाबों ने मुगलों का साथ दिया था ..
१८ ५७ की क्रांति के समय समथर में महाहिंदुपति का शासन था ,जो अवयस्क थे और शासन का भार राजमाता पर था ,कुशल दीवान घाटमपुर वाले उनके सहयोगी थे , महारानी लक्ष्मीबाई झाँसी से कालपी के लिए समथर राज्य से होकर गुजारी थी तथा समथर राज्य के दतावली गाव में रुकी थीं ,समथर एक क़स्बा है और उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक नगर पालिका है भारत की जनगणना2001 में समथर की आबादी 20,227 थी. पुरुषों और महिलाओं की जनसंख्या 47% से 53% . समथर की साक्षरता दर औसत 55% है, 59.5% की राष्ट्रीय औसत से कम है: पुरुष साक्षरता 66% है, और महिला साक्षरता 43% है. .समथर में, जनसंख्या का 16% की उम्र 6 वर्ष से कम है. पूर्व में स्थित समथर समथर गढ़ के रूप में जाना जाता था. . समथर महान गुर्जर योद्धाओं के अधीन एक रियासत थी.
यहाँ सभी धर्म के लोग मिलजुलकर परस्पर सद्भाव से सभी त्यौहार मानते है ..
यहाँ मंदिरों ,मस्जिदों की संख्या काफी ज्यादा है राजमंदिर ,सुखदेनी माता का मंदिर ,स्यम्दास जी का मंदिर ,धनुष धरी का मंदिर ,अग्गा के हनुमान जी ,तथा लंका पलंग हनुमान मंदिर आदि है
नगर में रामनवमी और होली पर प्रति वर्ष दो कवि सम्मलेन होते है
.
यहाँ सभी धर्म के लोग मिलजुलकर परस्पर सद्भाव से सभी त्यौहार मानते है ..
यहाँ मंदिरों ,मस्जिदों की संख्या काफी ज्यादा है राजमंदिर ,सुखदेनी माता का मंदिर ,स्यम्दास जी का मंदिर ,धनुष धरी का मंदिर ,अग्गा के हनुमान जी ,तथा लंका पलंग हनुमान मंदिर आदि है
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किला
यहाँ अत्यंत विशाल किला है ..राज महल-यह महल किले में है जो अभी आम लोगो के लिए खुला नहीं है इसमें तत्कालीन महाराजा साहब निवास करते है ।
आवागमन
झांसी से तकरीबन ७० किलोमीटर दूर है और दिल्ली से यहां भोपाल शताब्दी के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकता है। अगर आप खुद ड्राइव कर रहे हैं, तो रास्ता पूछकर चलना ही बेहतर रहेगा।
- वायु मार्ग-
नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो है जो 163 किमी. की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, वाराणसी और आगरा से नियमित फ्लाइटों से जुड़ा है।
- रेल मार्ग-
झांसी नजदीकी रेल मुख्यालय है। दिल्ली, आगरा, भोपाल, मुम्बई, ग्वालियर आदि प्रमुख शहरों से झांसी के लिए अनेक रेलगाड़ियां हैं। वैसे मोठ तक भी रेलवे लाइन है जहां पैसेन्जर आदि ट्रैन से पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग-
समथर झांसी-कानपूर मार्ग पर स्थित है। नियमित बस सेवाएं मोठ को झांसी और कानपूर से को जोड़ती हैं।मोठ से समथर १५ किलोमीटर है झाँसी के लिए दिल्ली, आगरा, भोपाल, ग्वालियर और वाराणसी से नियमित बसें चलती हैं।
Really Heart touching...and True Article...Expect ...the
जवाब देंहटाएंराजा वीर सिंह जूदेव
-महाराजा रणजीत सिंह जूदेव
-सम्प्रति महाराजा राधाचरण सिंह जूदेव,
I m also a Gurjar from SAMTHAR, and In my knowledge..Correct Sequence is ..
राजा वीर सिंह जूदेव
-सम्प्रति महाराजा राधाचरण सिंह जूदेव,
महाराजा रणजीत सिंह जूदेव...
महाराजा रणजीत सिंह जूदेव...is the presently playing the best role in UP-Congress, He is the Best human being, and also a Royal and Pleasant Personality. I have never seen such type of best person in Politics.
Surendra Pal Singh Gurjar
Research Scholar,
C/o Prof. Kamal Jain
Geomatics Section
Department of Civil Engineering
Indian Institute of Technology-Roorkee
ROORKEE, PIN-247667,
(Uttrakhand), INDIA
Mobile- +91-9452858301
E-mail- surendra.geomatics@gmail.com
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जवाब देंहटाएंराजा वीर सिंह जूदेव
-महाराजा रणजीत सिंह जूदेव
-सम्प्रति महाराजा राधाचरण सिंह जूदेव,
I m a New Yuva from SAMTHAR, and In my knowledge..Correct Sequence is ..
राजा वीर सिंह जूदेव
-सम्प्रति महाराजा राधाचरण सिंह जूदेव,
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महाराजा रणजीत सिंह जूदेव...is the presently playing the best role in UP-Congress, He is the Best human being, and also a Royal and Pleasant Personality. I have never seen such type of best person in Politics.
Rambihari Bhautik(Ops Senior Executive ):
S/o Shobharam
VPO- Chirgaon khurd Samthar jhansi UP 284304, INDIA
Mobile- +91-9559032709
E-mail- rambihari502@gmail.com
Bundela गुजर को अपना भाई मानते थे
जवाब देंहटाएंYes
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